*📚स्कूलों में बच्चे कहेंगे ज’रामजीकी, पढ़ेंगे कताबां… 2000 शब्दों की डिक्शनरी बनाई*
Nai shiksha niti लागू करने की तैयारी
®️©️
नए शिक्षा सत्र में सरकारी स्कूलाें के बच्चे किताबाें काे कताबाें, पैंसिल काे पेमसल बाेलते, नमस्ते… गुड माॅर्निंग की बजाय अभिवादन में ज’रामजीकी कहते मिलेंगे। दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में नए सेशन से प्रदेश के सरकारी स्कूलाें के पहली के छात्र-छात्राओं काे हाड़ाैती, मेवाड़ी, मारवाड़ी आदि स्थानीय बाेली में भी पढ़ाने की तैयारी है। शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रदेश के 9 जिलाें में भाषायी सर्वेक्षण करा िलया है। 24 जिलाें में इसकी प्रक्रिया जारी है। काेटा डाइट ने हाड़ाैती का शब्द काेश तैयार कर लिया है।
काेटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिले के शिक्षकाें एवं भाषा विशेषज्ञाें ने करीब 2 हजार स्थानीय शब्द इसमें शामिल किए हैं। इसमें लपटो, राबड़ी, खड़चू, कतरणी, कांदा पालक्यो, दांथली, कुदाली, अंगरखी, स्याफी, हाबदड़ाे, खाटो, खाट, मरद, बायरां, छोरा-छोरी, हलद, पतकाल्यां, लूंण, धणों, लूगड़ाे-धोवती, पंज्यो, बुशट, शूटर, झांझरजोट, कणकती, टड्डो, कंठी, द्वाली, गोरण, कताबां, फाटी, बत्ती, पेमसल, गदेलो, सराणो, चादरो, छीलगाड़ी, फटफट्यो, कागलो, कौ, डाणो, फागडी, तस्बीर, मंदर, पलंग सरीखे शब्द शामिल हैं।
उम्मीद है कि इस प्रयाेग से स्कूली शिक्षा के बुनियादी ढांचे में विश्वास जगेगा। बच्चाें की स्कूलाें में हिचिकिचाहट खत्म हाे सकेगी। जापान, जर्मनी में प्राथमिक शिक्षा स्थानीय बाेली में भाषायी सर्वेक्षण राजस्थान 2023-24 में अभियान काे लेकर समग्र शिक्षा अभियान की ओर से काेटा में सरकारी स्कूलाें के प्रिंसिपल, सीबीईओ और एसीबीईओ की कार्यशाला हुई।
समसा की एडीपीसी उषा पवांर, डाइट के प्रिंसिपल भवानीशंकर चाैबदार, समसा एपीसी अजीत लुहाड़िया, सीबीईओ सिटी रितु शर्मा व विशेषज्ञाें ने जानकारियां दीं। समसा एपीसी अजीत लुहाड़िया ने बताया कि जापान, जर्मनी समेत अन्य देशाें में प्री-प्राइमरी कक्षाओं में स्थानीय बाेली में बच्चाें काे पढ़ाया जाता है। वे जल्दी समझते हैं। यहां भी यह प्रयाेग नई शिक्षा नीति में किया जा रहा है।
*काेटा के 1093 स्कूलाें में सर्वे*
प्रदेश में सरकारी स्कूलाें में कक्षा-1 के लिए सर्वे किया जा रहा है। इसमें हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षक शामिल हैं। कक्षा अध्यापक और हिंदी शिक्षक काे शाला दर्पण पाेर्टल पर एक से 10 जनवरी तक एक प्राेफार्मा भरना हाेगा। एडीपीसी उषा पंवार ने बताया कि काेटा जिले में 1093 स्कूलाें में पहली कक्षा में 11 हजार 925 छात्र-छात्राएं हैं। इन बच्चाें पर सर्वे कर प्राेफार्मा में बताना हाेगा कि ये घर में काैनसी बाेली बाेल रहे हैं। किस बाेली में अच्छे से समझते, बाेलते और जानते हैं।